बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र बीए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र
प्रश्न- बालक में भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना में परिवार अथवा विद्यालय की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
अथवा
जीवन मूल्यों की स्थापना में परिवार एवं विद्यालय क्या महत्व रखते हैं?
अथवा
"भारत में जीवन मूल्यों की शिक्षा गृह तथा परिवार से आरम्भ होती है।' वर्णन कीजिए।
उत्तर-
परिवार और मूल्य शिक्षा
(Family and Value Education)
बालक की प्राथमिक पाठशाला परिवार को ही माना जाता है। यहाँ पर बालक भाषा और आचरण की विधियाँ सीखता है तथा धर्म और संस्कृति ग्रहण करता है। बालकों की नींव परिवार में ही रखी जाती है। बालक आकस्मिक अवस्था में अपने माँ बाप, भाई-बहन आदि का अनुकरण करता है तथा भाषा का एवं आचरण की विधियों का ज्ञान प्राप्त करता है। तत्पश्चात् वह अपने कार्यों के प्रति दूसरों की अनुक्रिया देखकर उनमें सही विधियों को चुनता है तथा गलत विधियों को त्याग देता है। जब उसे थोड़ी समझ आ जाती है तो वह अपने कार्यों का विश्लेषण करने लगता है तथा न्याय-अन्याय व सही-गलत का फैसला करने लगता है। मूल्यों के निर्माण की क्रिया बस यहीं से आरम्भ हो जाती है। परिवार में बच्चों में उचित मूल्यों का उचित ढंग से विकास करने के निम्नलिखित कार्य किये जाने चाहिए -
1. कहानी कथन - बच्चों की इनमें स्वाभाविक रुचि होती है। इनमें बच्चों का मनोरंजन होता है तथा इससे वे अनेक गुणों को प्राप्त करते हैं। परिवार में बच्चों को सरल एवं स्पष्ट अर्थ वाली कहानी सुनाई जानी चाहिए। इससे बच्चों को प्रेम, सहानुभूति, सहयोग, क्षमा, दान, दया, शौर्य, वीर्य आदि के महत्व का ज्ञान होता है।
2. मूल्य आधारित आचरण - मूल्य शिक्षा का स्वाभाविक क्रम व्यवहार से व्यवहार की ओर है। बच्चा आरम्भिक अवस्था में अपने माँ-बाप एवं भाई-बहन आदि का अनुकरण करता है और नयी-नयी व्यवहार एवं विधियों को सीखता है। जब बच्चा कुछ बड़ा होता है तो वह इन विधियों के औचित्य के बारे में सोचने लगता है और क्योंकि उत्तर में वे मूल्य पर पहुँच जाते हैं तत्पश्चात् यह मूल्य पर पहुँच जाते हैं तत्पश्चात् यह मूल्य ही उनके व्यवहार का आधार बन जाता है और उनका व्यवहार इन मूल्यों के अनुसार ही होने लगता है। इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि बच्चों में उचित विकास के लिए सामाजिक एवं सास्कृतिक पर्यावरण की मूलभूत आवश्यकता होती है।
3. टेलीविजन, रेडियो कार्यक्रम विश्लेषण - वर्तमान समय में अधिकांश परिवारों में टेलीविजन देखें और रेडियो सुने जाते हैं। इन पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का प्रसारण होता है। जैसे- फिल्म व नाटक आदि। अधिकांश परिवार के सभी सदस्य इन्हें एक साथ देखते व सुनते हैं। बच्चे इन कार्यक्रमों के प्रति अपने माता-पिता की अनुक्रियाओं को बड़े ही ध्यान से देखते हैं। बच्चे उनकी इन्हीं अनुक्रियाओं से गलत एवं अच्छे व्यवहार सीखते हैं। ऐसे में परिवारों को यह चाहिए कि वे समाज द्वारा स्वीकृत व्यवहार विधियों की चर्चा करे और बच्चों को यह चाहिए कि वे केवल दूसरे की अनुक्रियाओं के आधार पर ही नहीं बल्कि कुछ मूलभूत आधारों पर अपना व्यवहार निश्चित करे। परिवार द्वारा बच्चों के समक्ष समाज द्वारा स्वीकृत आचरण की पुष्टि करनी चाहिए।
4. पुरस्कार एवं दंड - परिवार के सदस्यों द्वारा बच्चों के मूल्य आधारित व्यवहार की प्रशंसा की जानी चाहिए और मूल्य व्यवहार के प्रतिकूल व्यवहार के प्रति अन्यथा अनुक्रिया की जानी चाहिए। बच्चों से मोह न करके प्रेम करना चाहिए। बच्चों के सही आचरण को सही व गलत को गलत कहना चाहिए तथा उनके अनुचित व्यवहार करने पर उनके दंड की व्यवस्था की जानी चाहिए। किन्तु दंड देते समय इस बात को विशेष रूप से ध्यान में रखना चाहिए कि जो कुछ किया जा रहा है वह उनके स्वयं के हित के लिए किया जा रहा है। क्रोध में दिया गया दंड सदैव हानिकारक होता है।
5.विद्यालयों के मूल्य शिक्षा सम्बन्धी कार्यक्रमों में सहयोग - अच्छे विद्यालयों की अच्छी परिपाटी मूल्य शिक्षा का बड़ा सशक्त साधन होती है। इसीलिए आज विद्यालयों की मूल्य शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। लेकिन विद्यालय अपने इस कार्य में उस समय तक सफलता नहीं पा सकते हैं जब तक कि परिवार उनका सहयोग न करें। इस सम्बन्ध में सर्वप्रथम बात यह है कि परिवार और विद्यालयों को सिखाये जाने वाले मूल्यों के प्रति सहमति होनी चाहिए। दूसरी बात यह है कि मूल्यों के विकास हेतु परिवारों को सामाजिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण सुलभ कराया जाना चाहिए।
उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि मूल्य में परिवार का विशेष महत्व होता है। अतः जीवन मूल्यों के विकास में परिवार के योगदान को विशेष रूप से ध्यान में रखना चाहिए तथा इसी के आधार पर ही उचित या अनुचित कार्यों को किया जाना चाहिए जिससे इनका विकास उचित प्रकार से हो सके।
विद्यालय और मूल्य शिक्षा
(School and Value Education)
अधिकांश विद्वानों का यह मत रहा है कि विद्यालयों में मूल्य शिक्षा पर बल दिया जाना चाहिए लेकिन शिक्षा का विधान पृथक क्रिया अथवा विषय के रूप में नहीं किया जाना चाहिए बल्कि विद्यालयों की सभी क्रियाओं एवं विषयों को एक साथ किया जाना चाहिए। बच्चों के उचित विकास हेतु विद्यालयों को निम्नलिखित कार्य करने चाहिए -
1. मूल्य प्रधान वातावरण बच्चे विद्यालय- में प्रवेश लेने से पूर्व अपने परिवारों एवं समुदायों के मध्य रहे होते हैं, जहाँ पर सामाजिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण के माध्यम से वे अनेक आदर्शों, सिद्धान्तों, विश्वासों एवं व्यवहार मानदंडों को ग्रहण करते हैं। विद्यालयों का कार्य यह होता है कि इस प्रकार के ग्रहण किये गये विश्वासों, आदर्शों एवं व्यवहार मानदंडों को काट-छांट कर उसे सही दिशा प्रदान करें। इसके लिए सर्वप्रथम मूलभूत आवश्यकता यह है कि विद्यालय का सामाजिक एवं सांस्कृतिक वातावरण मूल्य प्रधान होना चाहिए। यहाँ पर सभी छात्रों के साथ समान व्यवहार, समान अधिकार व उचित न्याय की व्यवस्था की जानी चाहिए।
2. पाठ्यक्रम सहगामी क्रियायें और मूल्य शिक्षा - बच्चों के विकास में सहपाठ्यचारी क्रियाओं का भी अत्यधिक महत्व है। सहपाठ्यचारी क्रियायें उन क्रियाओं को कहा जाता है जो विद्यालय में विद्यालयी
विषयों के अतिरिक्त होती है। मूल्य शिक्षा की दृष्टि से इनमें सबसे अधिक महत्व प्रातःकालीन सभा और साहित्यिक एवं सांस्कृतिक सभाओं का होता है जोकि निम्नलिखित हैं-
(i) मूल्य शिक्षा और प्रातःकालीन सभा - प्रायः सभी विद्यालयों की दैनिक शुरूआत प्रात कालीन सभा के साथ होती है। यदि शिक्षकों द्वारा इसे महत्व दिया जाता है और स्वयं अनुशासित रहकर ईश्वर का ध्यान किया जाता है तो बच्चों में अच्छे गुणों का विकास आसानी से होता है। प्रातः कालीन सभा में भगवान की प्रार्थना के बाद 5 मिनट का समय प्रेरक प्रसंगों के लिए दिया जाना चाहिए। इन प्रेरक प्रसंगों में बुद्ध और हंस, राम और शबरी, कृष्ण और सुदामा तथा महावीर और सर्प आदि प्रसंग सुनाये जा सकते हैं।
(ii) साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम - साहित्यिक कार्यक्रमों के अन्तर्गत कवि सम्मेलन, कवि दरबार व साहित्यिक वाद-विवाद आदि को शामिल किया जाता है तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत संगीत, गायन व लोकगीत आदि को शामिल किया जाता है। इन सभी कार्यक्रमों में हमारी सभ्यता एवं संस्कृति परिलक्षित होती है। शिक्षकों को यह चाहिए कि वे इन कार्यक्रमों का दायित्व बच्चों पर छोड़ दे क्योंकि वे इसके माध्यम से प्रेम व सत्यता की शिक्षा देने का प्रयास करेंगे। इन सभी कार्यक्रमों की विषय सामग्री अच्छी तथा मानव मूल्यों की अभिव्यक्ति से मुक्त होनी चाहिए।
(iii) खेलकूद ये दो प्रकार के कार्यक्रम होते हैं - वैयष्टिक और सामूहिक। वैयष्टिक खेलकूदों के अन्तर्गत आसन, व्यायाम आदि को शामिल किया गया है। इसके द्वारा बच्चों को स्वास्थ्य का महत्व बताया जा सकता है तथा उत्तम स्वास्थ्य के प्रति सौन्दर्य की भावना को जाग्रत किया जा सकता है। आसन और व्यायाम करने वालों के शरीर सुडौल व स्वस्थ होते हैं।
(iv) राष्ट्रीय उत्सव - आज हमारे देश में मुख्य रूप से तीन राष्ट्रीय उत्सव मनाये जाते हैं - स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गणतंत्र दिवस 26 जनवरी एवं गाँधी जयन्ती 2 अक्टूबर। इन उत्सवों को मनाने की रीति हम सभी जानते हैं। विद्यालय के बच्चे प्रभात मे जयकारे लगाते हुए आगे निकलते हैं। कुछ खेलकूद व कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम हो जाते हैं। आज कोई भी व्यक्ति राष्ट्र ध्वज के सम्मान में 1 मिनट सावधान खड़ा नहीं रहता है, राष्ट्रहित की बात तो बहुत दूर की बात है।
(v) महापुरुषों के जन्मोत्सव - विद्यालयों में बच्चों को प्रेरणा देने के लिए महापुरुषों के जन्मोत्सव मनाया जाते हैं किन्तु आजकल इन उत्सवों को मनाने की केवल औपचारिकताएँ निभाई जाती हैं क्योंकि इन उत्सवों में न तो प्रधानाचार्य और शिक्षक रुचि लेते हैं और न ही छात्र अध्यापकों को इन महापुरुषों के जीवन में प्रकाश डालना चाहिए तथा प्रेरक प्रसंग सुनाये जाने चाहिए। शिक्षकों द्वारा बच्चों को अपने प्रेरक प्रसंग में यह बताना चाहिए कि अच्छे काम करने वाले व्यक्ति कभी नहीं मरते हैं अर्थात वे अमर हो जाते हैं।
3. विद्यालयी विषयों के शिक्षण के साथ मूल्य शिक्षा - विद्यालय में पढ़ाये जाने वाले लगभग सभी विषयों से छात्रों में उचित मूल्यों का विकास किया जा सकता है। लेकिन इनमें भाषा और इतिहास दो ऐसे विषय हैं जिनके माध्यम से बच्चों का विकास आसानी से किया जा सकता है।
(i) मूल्य शिक्षण और भाषा- भाषा के अन्तर्गत महापुरुषों की जीवनी एवं वीर्य और शौर्य के प्रसंगों को शामिल किया जाता है। वास्तव में इसमें समाज के समस्त विश्वासों, आदर्शों और सिद्धान्तों का समावेश होता है और इसका प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव हृदय पर पड़ता है। अध्यापको को पाठ पढ़ाते समय उसमें निहित आदर्शों एवं सिद्धान्तों को बालको के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए।
(ii) मूल्य शिक्षा और इतिहास - इतिहास का सम्बन्ध केवल राजाओं महाराजाओं के उत्थान पतन से न होकर इसमें जाति-समाज अथवा राष्ट्र विशेष की सभ्यता एवं संस्कृति का दिग्दर्शन व मूल्यों का दिग्दर्शन होता है। इतिहास देखने पर यह पता चलता है कि राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तथा महाभारत का युद्ध हुआ। अकबर के दरबार में भाट ने राणा प्रताप द्वारा दी गयी पगड़ी को उतारकर सर झुकाया था। अतः इतिहास के माध्यम से बच्चों को जानकारी के रूप में लाभान्वित किया जा सकता है।
(iii) मूल्य शिक्षा और भूगोल - भूगोल के माध्यम से बच्चों को देश विदेश की प्राकृतिक स्थिति से अवगत कराया जाता है। एक शिक्षक थोड़ी सी सावधानी बरतकर भूगोल के माध्यम से बच्चों की अन्योन्याश्रित का ज्ञान करा सकता है तथा उनमें विश्वबन्धुत्व की भावना जाग्रत कर सकता है।
(iv) मूल्य शिक्षा और नागरिकशास्त्र - नागरिकशास्त्र के अन्तर्गत मूल रूप से नागरिकों के अधिकारों एवं कर्त्तव्यों को शामिल किया जाता है। इसके शिक्षण के साथ राजनैतिक मूल्यों का विकास बड़ी ही आसानी के साथ किया जाता है। इसमें अपने हित के साथ राष्ट्र हित की भी चिन्ता की जाती है। अध्ययन से यह पता चलता है कि नागरिकों के हित में ही राष्ट्र का हित होता है। यह युग अंतर्राष्ट्रीय युग है अतः हमें इसी पर जोर देना चाहिए।
(v) मूल्य शिक्षा और अर्थशास्त्र - अर्थशास्त्र के अन्तर्गत आय के साधनों और स्रोतों की चर्चा की जाती है, उत्पादन में श्रम और साहस के महत्व को स्पष्ट किया जाता है, मांग और पूर्ति के नियम बताये जाते हैं तथा बढ़ती हुई जनसंख्या के भयंकर परिणाम में सतर्क किया जाता है। शिक्षक द्वारा शिक्षण के साथ जीवन साहस और सहयोग के महत्व को स्पष्ट किया जा सकता है। यदि शिक्षक द्वारा थोड़ी सी सावधानी बरती जाती है तो वह यह भी स्पष्ट कर सकता है कि जीवन प्रत्येक क्षेत्र में इनका अत्यधिक महत्व है।
उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि जीवन मूल्यों में विद्यालयों का भी अत्यधिक महत्व है।
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- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
- प्रश्न- वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य दोष क्या थे?
- प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
- प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
- प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ज्ञान के अर्थ तथा उसकी अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के प्रमुख घटकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और शिक्षण के सम्प्रत्यय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- व्यापक शिक्षा तथा संकुचित शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विषय-विस्तार को संक्षेप में लिखिए
- प्रश्न- "शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "अच्छे नैतिक चरित्र का विकास ही शिक्षा है।' समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा को मनुष्य एवं समाज का निर्माण करना चाहिए। कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- महात्मा गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा लिखिए।
- प्रश्न- "सा विद्या या विमुक्तये' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है।' समझाइए।
- प्रश्न- "शिक्षा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का स्वाभाविक समरूप एवं प्रगतिशील विकास है।' व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक और मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा के सर्वागीण और सर्वोच्च विकास से है।' शिक्षा की इस परिभाषा से आप कहाँ तक सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- जॉन डी वी के अनुसार शिक्षा की परिभाषा बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की विवेचना संक्षेप में कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- उद्देश्य निर्धारित हो जाने से कौन-कौन से लाभ होते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के आदर्श उद्देश्यों के गुणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्ष तथा लोकतंत्रीय भारत के लिए शिक्षा के सर्वाधिक उद्देश्य कौन से हैं?
- प्रश्न- शारीरिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानसिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नैतिक एवं चारित्रिक विकास के उद्देश्य को समझाइए।
- प्रश्न- व्यावसायिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शासनतन्त्र एवं नागरिकता की शिक्षा के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र की आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आध्यात्मिक चेतना के विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्य एक दूसरे के पूरक हैं।' इसका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य सम्बन्धी शिक्षाशास्त्रियों के विचार को बताइए।
- प्रश्न- क्या शिक्षा के वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्यों में समन्वय स्थापित करना सम्भव है? यदि हाँ, तो कैसे?
- प्रश्न- भारतीय जनतन्त्र में शिक्षा के उद्देश्यों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यावसायीकरण से आप क्या समझते हैं? इसकी आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा का स्वरूप क्या है? व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के उद्देश्यों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- क्या शिक्षा के विविध उद्देश्यों का एक उद्देश्य में संश्लेषण किया जाना चाहिए? यदि हाँ तो वह उद्देश्य क्या होना चाहिए और क्यों?
- प्रश्न- उद्देश्य और लक्ष्य में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निरौपचारिक शिक्षा के सामाजिक उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- "वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्य एक-दूसरे के पूरक हैं।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक दृष्टि से भारत में शिक्षा के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य कौन-सा है और क्यों?
- प्रश्न- शिक्षा के वैक्तिक उद्देश्य से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय जीवन में शिक्षा के क्या कार्य होने चाहिये?
- प्रश्न- शिक्षा की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति के जीवन में शिक्षा का क्या कार्य है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय जीवन में शिक्षा का क्या कार्य है?
- प्रश्न- “शिक्षा मानव विकास का मूल साधन है।' इस कथन की व्याख्या करते हुए इसके कार्य, आवश्यकता एवं महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक जीवन में शिक्षा के क्या कार्य हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्या कार्य हैं?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्या कार्य है?
- प्रश्न- मानव जीवन में शिक्षा के कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति के प्रति शिक्षा के दो कार्यों को बताइए।
- प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? संस्कृति की आवश्यकता एवं महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना (पिछड़) को समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा व संस्कृति में सम्बन्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति के आधुनिक स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत से आप क्या समझते हैं? यह शिक्षा से किस प्रकार सम्बधित है?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति की आवश्यकता व महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौशल अधिग्रहण क्या है? कौशल अधिग्रहण के तीन चरणों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- कौशल अधिग्रहण के लिए संज्ञानात्मक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौशल अधिग्रहण के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य शब्द का अर्थ बताइए। मानव जीवन में मूल्यों का क्या स्थान है?
- प्रश्न- बालक में भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना में परिवार अथवा विद्यालय की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जीवन मूल्यों की स्थापना में परिवार का क्या महत्व है?
- प्रश्न- जीवन मूल्यों की स्थापना में विद्यालय का क्या महत्व है?
- प्रश्न- मूल्य शिक्षा व मूल्यपरक शिक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए और उसके मार्गदर्शक सिद्धान्तों तथा उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक शिक्षा एवं सांस्कृतिक मूल्यों के विकास के अभिकरण बताइए।
- प्रश्न- मूल्य कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- मूल्यपूरक शिक्षा की आवश्यकता समझाइए।
- प्रश्न- मूल्य निर्माण में विद्यालय की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- शैक्षिक मूल्यों से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक तथ्य क्या है? इसी के साथ ही सामाजिक एकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक एकता का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- यान्त्रिक और सावयवी एकता में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- अवकाश क्या है? अवकाश शिक्षा के क्या लाभ हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अवकाश शिक्षा का क्या अर्थ है? दो प्रकार के अवकाश के बारे में बताइए।
- प्रश्न- अवकाश की अवधारणा को समझाइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता क्या है? राष्ट्रीय एकता के लिए शैक्षिक कार्यक्रम बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता क्या है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के विकास में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपाय कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- भारत में भावात्मक एवं राष्ट्रीय एकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं का वर्णन कीजिए इस सम्बन्ध में गोष्ठियों एवं समितियों के विचारों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता का अर्थ स्पष्ट कीजिए। शिक्षा राष्ट्रीय एकता के विकास में किस प्रकार सहायता कर सकती है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा राष्ट्रीयता के विकास में किस प्रकार सहायता कर सकती है?
- प्रश्न- भावात्मक एवं राष्ट्रीय एकता के विकास के लिए कौन-कौन से उपाय हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकीकरण एकता के मार्ग में कौन-कौन सी बाधाएँ हैं? शिक्षा राष्ट्रीय एकीकरण के विकास में किस प्रकार योगदान दे सकती है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के लिए किए गए सरकारी प्रयासों को बताइए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता की प्राप्ति के उपायों को सुझाइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकीकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता की समस्या पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के लिए शिक्षा के क्या उद्देश्य हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के लिए शैक्षिक कार्यक्रम बताइए।
- प्रश्न- भावात्मक एकता क्या है?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय बोध का विकास करने के उपाय की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास के सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास के लिए क्या-क्या उपाय किये गये हैं?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना की आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सदभावना से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास में आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीयता के विकास के उपायों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आप अन्तर्राष्ट्रीयता से क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीयता के गुण-दोष पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीयता के विकास में बाधक तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीयता अवबोध के विकास में यूनेस्को की भूमिका पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भावात्मक एकता, राष्ट्रीय एकता और अंतर्राष्ट्रीयता को समझाइए।
- प्रश्न- भारत में भावात्मक एकता की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संकीर्ण राष्ट्रीयता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- मानवीय संसाधन से आप क्या समझते हैं? मानवीय संसाधन का शिक्षा में महत्व बताइये।
- प्रश्न- मानवीय साधन कितने प्रकार के होते हैं तथा इसकी आवश्यकता बताइए।
- प्रश्न- मानव संसाधन विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा द्वारा मानव संसाधनों के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानव संसाधन विकास का परिभाषाओं सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मानव संसाधन विकास का क्या अर्थ है? इसके लिए किस प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता है?
- प्रश्न- मानवीय संसाधनों की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- मानव पूँजी के रूप में शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मानव शक्ति नियोजन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मानव शक्ति नियोजन की प्रमुख सीमाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उत्पादन क्रिया के रूप में शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के साधनों से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न साधनों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के साधनों से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- औपचारिक साधन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा के अन्य अनौपचारिक साधनों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के सक्रिय व निष्क्रिय साधन लिखिए।
- प्रश्न- ब्राउन ने शिक्षा के अभिकरणों को कितने भागों में बाँटा है? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- औपचारिक, निरौपचारिक और अनौपचारिक अभिकरणों के सापेक्षिक सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधनों में जनसंचार के साधनों का क्या योगदान है?
- प्रश्न- अनौपचारिक और औपचारिक शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक साधनों में कौन अधिक महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- संविधान में शिक्षा से सम्बन्धित प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों से सम्बन्धित संवैधानिक मूल्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता, न्याय, समता एवं बन्धुत्व की संवैधानिक वचनबद्धता के संदर्भ में शिक्षा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का क्या अर्थ है? मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
- प्रश्न- 'निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्यों का उल्लेख करते हुए पूर्व प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किण्डरगार्टन प्रणाली के गुण-दोषों की व्याख्या करते हुए मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- किण्डरगार्टन प्रणाली के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- किण्डरगार्टन प्रणाली के दोषों को बताइए।
- प्रश्न- मॉण्टेसरी शिक्षा पद्धति के गुण-दोषों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मॉण्टेसरी पद्धति के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मॉण्टेसरी प्रणाली के दोष बताइए।
- प्रश्न- डाल्टन पद्धति का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- डाल्टन पद्धति के गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डाल्टन पद्धति की सीमाओं या दोष का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पूर्व प्राथमिक शिक्षा का विकास बताइए।
- प्रश्न- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्य एवं कार्यक्रमों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा की वर्तमान स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पूर्व प्राथमिक शिक्षा का नियोजन एवं संगठन कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- माण्टेसरी तथा किण्डरगार्टन पद्धति की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधारभूत तत्व क्या हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 के सम्बन्ध में अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- नई शिक्षा नीति - 2020 में स्कूली शिक्षा से सम्बन्धित बिन्दुओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम से आप क्या समझते हैं? इसके गुण व दोषों पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्राथमिक शिक्षा के विकास को समझाइये।
- प्रश्न- प्राचीन एवं मुस्लिम काल में प्राथमिक शिक्षा के विकास पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश काल में प्राथमिक शिक्षा की समस्या बताइए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा की प्रमुख समस्यायें क्या हैं? उन्हें हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय व्यवस्था तथा वित्त व्यवस्था से सम्बन्धित प्राथमिक शिक्षा की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षकों की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के समेकित अभिगमन से क्या तात्पर्य है? विस्तारपूर्वक समझाइये।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के समेकित अभिगमन से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के समेकित दृष्टिकोण के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समेकित अभिगमन की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा के संगठन एवं स्वरूप की समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा के लक्ष्य निर्धारण की समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा की अनिवार्यता के प्रयासों पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के लिए संवैधानिक व्यवस्था क्या है?
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा के विकास के लिए शिक्षा आयोग (1965-66) ने किन सुझावों को अपनाने पर बल दिया?
- प्रश्न- अध्यापक-निर्देशिकाओं तथा शिक्षण सामग्री के महत्त्व से आप क्या समझते हैं? इस सम्बन्ध में कोठारी आयोग के सुझाव बताइये।
- प्रश्न- विश्वविद्यालयी सम्प्रभुता से क्या तात्पर्य है? विश्वविद्यालयी सम्प्रभुता की क्या समस्यायें हैं?
- प्रश्न- विश्वविद्यालयी सम्प्रभुता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विश्वविद्यालयी सम्प्रभुता पर राधा कृष्णन के विचार लिखिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के मार्ग में कौन-कौन सी समस्याएँ आती हैं? इनके कार्यों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के मार्ग में आने वाली प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के मार्ग में वित्तीय समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा में उद्देश्यहीनता तथा दोषपूर्ण पाठ्यक्रम पर विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा की प्रमुख समस्याओं के समाधान हेतु उपाय बताइए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय के कार्यों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा का प्रसार सीमित साधनों से अधिक हो रहा है। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा में बेरोजगारी प्रमुख समस्या है। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के उद्देश्य भारत के सन्दर्भ में क्या होने चाहिए? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में कितने प्रकार के विश्वविद्यालय हैं?
- प्रश्न- भारत में विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र शासित विश्वविद्यालय क्या हैं? उनके नाम लिखिए।
- प्रश्न- 'खुला विश्वविद्यालय' क्या है ?
- प्रश्न- राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के उद्देश्य लिखिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय व राज्यीय विश्वविद्यालयों को उनके संगठन के अनुसार कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- मानव विकास संसाधन मंत्रालय का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- यूनेस्को को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के संगठन का विस्तार से उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) के पाठ्यक्रम प्रारूप की व्यावहारिक उपादेयता का विस्तार से चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- अध्यापक शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार हेतु राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के कार्यों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद के संगठन का वर्णन करते हुए उसके कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- N.C.E.R.T से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व व कार्यों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान पर टिपणी लिखिये।
- प्रश्न- AICTE की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- IQAC की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- एन. आई. ओ. एस. क्या है?
- प्रश्न- राज्य शैक्षिक अनुसन्धान तथा प्रशिक्षण परिषद के उद्देश्यों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संगठन तथा कार्यों को बताते हुए इसके महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संगठन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्थायें हैं।' इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- डिग्री कॉलेजों के विकास में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के गठन का क्या उद्देश्य था?
- प्रश्न- शिक्षा बोर्ड के बारे में विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- क्या आई.बी. बोर्ड आई.सी.एस.ई. से बेहतर हैं?
- प्रश्न- केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राज्य शिक्षा बोर्ड पर संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- राज्य शिक्षा बोर्ड के कार्य बताइए।
- प्रश्न- सी. बी. एस. ई. बोर्ड की ग्रेडिंग प्रणाली के विषय पर टिप्पणी दीजिए।